~!~ आत्मन मोक्षर्थाय, जगत हिताय च ~!~
केवल अपनी मुक्ति से कुछ नहीं होगा औरों के लिए भी साथ-साथ विचार करना होगा।
केवल अपनी मुक्ति से कुछ नहीं होगा औरों के लिए भी साथ-साथ विचार करना होगा।
प्रेम ॐ कार २१ वीं सड़ी की धड़कन है। वसुधैव कुटुम्बकम की धरा है। सत्य की नदी है, साँसों की नाव है, सत्य की खोज है, ह्रदय की खुशबू है। सहजता, सरलता और निर्मलता की त्रिवेणी है। जन-जीवन की प्यास बुझाने का एक मात्र आनंदमय विश्राम स्थल है। धर्म, कर्म और श्रम की त्रिवेणी है। महाकाल से युग का संवाद है। महाकाली की संहारक शक्ति है। प्रेम ॐ कार मुक्ति का मार्ग है। कलियुग का पुरुषार्थ है, ह्रदय की गति है, प्रगति का मार्ग है। प्रेम ॐ कार सदी की अनुपम सनातन खोज है। सभी के घर के आँगन की खुशबू है। उद्भव से लेकर विकास की विश्वसनीय परिकल्पना है। श्रद्धा और विस्वाश का संगम है। आओ हम सभी चेतना के इस महाकुम्भ में स्नान करें। वेदना को चेतना में बदलने का सद्मार्ग है प्रेम ॐ कार। घाट-घाट की संवेदनाओं और संभावनाओं को यथा स्थान प्रदान करना हमारा कर्तव्य है। सुमति के पथ पर नित्य नूतनता का प्रकाश फैलाना हमारा धिय है। हमारे इस विनम्र विरल प्रयास में आपका सहयोग मार्गदर्शन समय स्थान यदि आप देंगे तो हमारी मानवता की परछाईं आप और आप, आपके परिवार, समाज एवं राष्ट्र को गौरवान्वित करेगी।
जीवन एक मिसाल है, मशाल लेकर चलने के लिए। कलियुग के अन्धकार को मिटाने के लिए कुदरत के बादशाह ने आपको यहाँ भेजा है। आज स्वंय का परिवार का, कुटुंब का समाज का, गली का, मौहल्ले का, गाँव का, नगर का, महानगर का, प्रदेश का और राष्ट्र का गौरव आपको सजग प्रहरी के रूप में नियुक्त करता है। आप यह भूल न जाएँ की आपको परमात्मा ने दुर्लभ मनुष्य योनी सोंपी है। जो सतत जागरूकता का परिचायक है। सजकता का प्रतीक है, स्वाभिमान की जननी है। वाशुधा का प्रेम रूपी सार है। और इस सार को संभालना ही मानवीयता है। लोक और परलोक का हमें विचार करना है कि मैं रूपी अन्हंकर तुम्हें निगल न जाए। विधि ने हमें लाखों सम्पदाएँ सौंपीं हैं। हज़ारों नियामतों ने हमें नैतिकता की राह पर चलने का कर्तव्य है। सैकड़ों कोशिकाओं का इक साथ शरीर में काम करना हमें इस बात की शिक्षा देता है कि हमें करुना में हमें इक दूसरे का सहयोग करते हुए सतत प्रगति के पथ पर अग्रसर होना है
प्रेम ॐ कार सत्द्हम सनातन आओ देख लो।
कलि श्री राम का नाम सुधा रख गाओ मंहक लो।।
कलि श्री राम का नाम सुधा रख गाओ मंहक लो।।
नेति नेति...!
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